अब एक्सा-सेल जीन थेरेपी से होगा सिकल सेल का इलाज विश्व में करोड़ों लोग अनुवांशिक बीमारी से संक्रमित

अब एक्सा-सेल जीन थेरेपी से होगा सिकल सेल का इलाज विश्व में करोड़ों लोग अनुवांशिक बीमारी से संक्रमित

अब एक्सा-सेल जीन थेरेपी से होगा सिकल सेल का इलाज विश्व में करोड़ों लोग अनुवांशिक बीमारी से संक्रमित

वाशिंगटन । अमेरिका की स्वास्थ्य विशेषज्ञ समिति ने अनुवांशिक सिकल सेल रोग (एससीडी) का नई जीन थेरेपी 'एक्सा- 'सेल' से इलाज की अनुमति दे दी है। अब खाद्य एवं दवा प्रशासन (एफडीए) से 8 दिसंबर को औपचारिक अनुमति मिलने की उम्मीद है। मौजूदा इलाज के मुकाबले एक्सा सेल कम दर्दनाक और ज्यादा प्रभावी माना जा रहा है। अमेरिका में 1 लाख लोग एससीडी के पीड़ित हैं, तो वहीं हर 13 में 1 अश्वेत में इसके जीन हैं। भारत में आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा 2016 से 2018 के बीच 1.13 करोड़ नागरिकों की स्क्रीनिंग करवाई गई, जिसमें 9.96 लाख में एससीडी के जीन मिले और 47,311 लोग पीड़ित पाए गए। भारत के जनजातीय कार्य मंत्रालय के अनुसार जनजातीय समुदाय के लोगों को यह रोग बड़ी संख्या में चपेट में लेता है । इन आंकड़ों के बीच एक्सा-सेल को लेकर दावा है कि यह पीड़ितों को दर्द और कमजोरी से मुक्ति दिलाएगा। इसे बोस्टन की फार्मा कंपनी वर्टेक्स और स्विट्जरलैंड की सीआरआईएसपीआर ने विकसित किया है। एससीडी जीन के म्यूटेशन से होता है। 70 साल पहले इस बीमारी की पहचान हुई । इसमें मानव की रक्त कोशिकाओं का आकार हंसिए जैसा या चंद्राकार हो जाता है । यह कम उम्र में ही असर दिखाने लगता है । इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की रक्त- वाहिकाओं में रक्त जमने लगता है, जो स्ट्रोक, अंदरूनी अंगों को क्षति, मांसपेशियों में भीषण दर्द और ऑक्सीजन की कमी की वजह बनता है । बोन मैरो ट्रांसप्लांट, कीमो, रक्त चढ़ाने इसके मौजूदा इलाज हैं । इनमें मरीजों को भीषण दर्द से गुजरना होता है। एक्सा - सेल की कीमत अभी सामने नहीं आई है, अनुमान हैं कि इसकी लागत करोड़ों रुपए हो सकती है। हालांकि कई बीमा कंपनियां इसका खर्च उठाने की प्रतिबद्धता दर्शा रही हैं। वे जीन थैरेपी के लिए सामान्यत 25 करोड़ रुपए तक का खर्च उठाती रही हैं। अमेरिकी चिकित्सा सलाहकार समिति सदस्य डॉ. जॉन टिस्डेल के अनुसार दर्द से तड़पते बच्चों को देखने वाले डॉक्टर व कई माता-पिता के लिए यह नई उम्मीदें जगाता है। एक्सा- सेल को लेकर बुजुर्गों के लिए उपयोगी होने पर शक जताया जा रहा है । इसकी वजह उन्हें रोग की वजह से पहले ही पहुंच चुकी भारी क्षति है ।

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