
गुवाहाटी । विश्व के प्रमुख विशेषज्ञों ने मंगलवार को यहां चीन के प्रस्तावित ग्रेट बेंड डैम पर गहरी चिंता व्यक्त की। यह डैम तिब्बत में यारलंग त्सांगपो नदी पर बनाया जाना प्रस्तावित है, जिसे भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है। विशेषज्ञों ने कहा कि इस डैम के निर्माण से उत्तर-पूर्व भारत और बांग्लादेश में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह डैम न केवल एक जलविद्युत परियोजना है, बल्कि यह एक जल बम्ब भी हो सकता है जो भारत और अन्य निचले देशों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इस मुद्दे पर विशेषज्ञों ने एक सेमिनार में भाग लिया, जिसका आयोजन एशियन कॉन्फ्लुएंस ने किया था। इस सेमिनार में विशेषज्ञों ने इस डैम के निर्माण से होने वाले संभावित परिणामों पर चर्चा की और इस मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। अरुणाचल प्रदेश से लोकसभा सदस्य और वरिष्ठ भाजपा नेता तापिर गाओ ने कहा कि यह कोई बांध नहीं होगा, बल्कि भारत और अन्य निचले तटवर्ती देशों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाने वाला एक वाटर बम होगा। उन्होंने जून 2000 में आई विनाशकारी बाढ़ की याद दिलाई, जो इसी तरह के वाटर बम के कारण आई थी, जिसमें सियांग नदी पर बने 10 से अधिक पुल बह गए थे । गाओ ने अरुणाचल प्रदेश में सियांग नदी पर एक और बांध बनाने के प्रस्ताव का भी समर्थन किया, ताकि ग्रेट बेंड पर प्रस्तावित बांध से अचानक पानी छोड़े जाने की संभावना के कारण डाउनस्ट्रीम में आपदा को रोका जा सके। इस सेमिनार में भाग लेने वाले विशेषज्ञों में क्लाउड अर्पी, बेर्टिल लिंटर, डॉ. रणबीर सिंह, प्रो. अनामिका बरुवा और अन्य प्रमुख विशेषज्ञ शामिल थे । इस सेमिनार के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं : चीन के ग्रेट बेंड डैम के निर्माण से उत्तर-पूर्व भारत और बांग्लादेश में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह डैम न केवल एक जलविद्युत परियोजना है, बल्कि यह एक जल बम्ब भी हो सकता है जो भारत और अन्य निचले देशों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। विशेषज्ञों ने इस मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। इस सेमिनार में विशेषज्ञों ने इस डैम के निर्माण से होने वाले संभावित परिणामों पर चर्चा की।
