जैन साहित्य भारत के बौद्धिक गौरव की रीढ़ रहा है : प्रधानमंत्री

जैन साहित्य भारत के बौद्धिक गौरव की रीढ़ रहा है : प्रधानमंत्री
जैन साहित्य भारत के बौद्धिक गौरव की रीढ़ रहा है : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली (हि.स.) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में नवकार महामंत्र दिवस कार्यक्रम में भारत की बौद्धिक और आध्यात्मिक विरासत को आकार देने में जैन साहित्य की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया । उन्होंने कहा कि जैन साहित्य भारत के बौद्धिक गौरव की रीढ़ रहा है और इस ज्ञान को संरक्षित करना एक राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में प्राकृत और पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के केंद्र सरकार के फैसले का उल्लेख करते हुए बताया कि इससे जैन साहित्य पर और अधिक शोध हो सकेगा। भाषा को संरक्षित करने से ज्ञान का अस्तित्व बना रहता है और भाषा का विस्तार करने से ज्ञान का विकास होता है। प्रधानमंत्री ने भारत में सदियों पुरानी जैन पांडुलिपियों के अस्तित्व का उल्लेख किया और प्रत्येक पृष्ठ को इतिहास का दर्पण और ज्ञान का सागर बताते हुए गहन जैन शिक्षाओं का हवाला दिया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण ग्रंथों के धीरे-धीरे लुप्त होने पर चिंता व्यक्त की और इस वर्ष के बजट में घोषित ज्ञान भारतम मिशन शुभारंभ का उल्लेख किया। उन्होंने देशभर में लाखों पांडुलिपियों का सर्वेक्षण करने और प्राचीन विरासत को डिजिटल बनाने की योजना साझा की, जिससे पुरातनता को आधुनिकता से जोड़ा जा सके। उन्होंने इस पहल को अमृत संकल्प बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि नया भारत आध्यात्मिकता के साथ दुनिया का मार्गदर्शन करते हुए एआई के माध्यम से संभावनाओं की खोज करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि जैन धर्म वैज्ञानिक और संवेदनशील है, जो अपने मूल सिद्धांतों के माध्यम से युद्ध, आतंकवाद और पर्यावरण संबंधी मुद्दों जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करता है । अनेकांतवाद में विश्वास युद्ध और संघर्ष की स्थितियों को रोकता है, दूसरों की भावनाओं और दृष्टिकोणों की समझ को बढ़ावा देता है। उन्होंने दुनिया को अनेकांतवाद के दर्शन को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वैश्विक संस्थाएं अब भारत की ओर देख रही हैं क्योंकि इसकी प्रगति ने दूसरों के लिए रास्ते खोले हैं। उन्होंने इसे जैन दर्शन परस्परोपग्रहो जीवनम् से जोड़ा, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि जीवन परस्पर सहयोग पर आधारित है। उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण ने भारत से वैश्विक उम्मीदें बढ़ा दी हैं और राष्ट्र ने अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। मोदी ने सामूहिक नवकार मंत्र के जाप के बाद सभी से नौ संकल्प लेने का आग्रह किया। पहला संकल्प जल संरक्षण था, उन्होंने बुद्धि सागर महाराज के शब्दों को याद किया, जिन्होंने 100 साल पहले भविष्यवाणी की थी कि पानी दुकानों में बेचा जाएगा। उन्होंने पानी की हर बूंद का महत्व समझने और उसे बचाने की आवश्यकता पर बल दिया। दूसरा संकल्प मां के नाम पर एक पेड़ लगाना है। उन्होंने हाल के महीनों में 100 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए जाने का उल्लेख किया और सभी से अपनी मां के नाम पर एक पेड़ लगाने और उनके आशीर्वाद की तरह उसका पालन- पोषण करने का आग्रह किया ।

जैन साहित्य भारत के बौद्धिक गौरव की रीढ़ रहा है : प्रधानमंत्री
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