पेरिस के लिए सिंधु को मिला विदेशी कोच सांतोसो का साथ, चोट से उबरने के बाद कोर्ट पर उतरीं पीवी

पेरिस के लिए सिंधु को मिला विदेशी कोच सांतोसो का साथ, चोट से उबरने के बाद कोर्ट पर उतरीं पीवी

पेरिस के लिए सिंधु को मिला विदेशी कोच सांतोसो का साथ, चोट से उबरने के बाद कोर्ट पर उतरीं पीवी

ग्रेटर नोएडा। कानपुर के परमट में रहने वाले गौरव कुछ मजबूरियों के चलते बॉक्सिंग में बहुत आगे तक नहीं पहुंचे सके। उनके जीवन की यह सबसे बड़ी पीडा थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। प्रिंटिंग प्रेस में 100 रुपये दिहाड़ी पर की मजदूरी, खुद नहीं बन पाए तो खड़ी कर दी गौरव ने चैंपियन की फौज उन्होंने बताया कि वह भले ही बॉक्सिंग में बड़ा मुकाम न हासिल कर पाए होलेकिन उन्हें खुशी हैं कि उनके सिखाएं खिलाड़ी देश में नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 20 से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्णरजत और कांस्य पदक जीत चुके है। हाल ही में बुलंदशहर में आयोजित हुई सब जूनियर गर्ल्स चैंपियनशिप में दो खिलाड़ियों ने स्वर्ण पदक जीते है। प्रिंटिंग प्रेस में 100 रुपये दिहाड़ी पर की मजदूरी, खुद नहीं बन पाए तो खड़ी कर दी गौरव ने चैंपियन की फौज खुद नहीं बन पाए तो खड़ी कर दी गौरव ने चैंपियन की फौज जिला एवं राज्य स्तर पर चुने गए सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज गौरव के नाम हैं कई रिकॉर्ड अंकुर त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। कानपुर के परमट में रहने वाले गौरव कुछ मजबूरियों के चलते बॉक्सिंग में बहुत आगे तक नहीं पहुंचे सके। उनके जीवन की यह सबसे बड़ी पीड़ा थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनका जीवन भले ही संघर्ष से भरा हुआ रहा, लेकिन उन्होंने कसम खाई थी कि वह चैंपियन की एक फौज तैयार करेंगे। बॉक्सिंग एकेडमी चलाने वाले गौरव की एकेडमी से राष्ट्रीय स्तर के कई बाक्सर निकल चुके हैं। जब वह यह बताते हैं तो उनकी आंखों में एक सपने के पूरे होने की चमक दिखती है। उन्होंने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण सुबह सात से शाम चार बजे तक वह कैंटीन में काम करते थे। वह से छूटने के बाद शाम को दो घंटे का अभ्यास करते थे। वहां से मिलने वाले रुपयों से किसी तरह घर चलाने में मदद मिलती थी। प्रिंटिंग प्रेस में 100 रुपये दिहाड़ी पर की मजदूरी गौरव ने बताया कि कई बार ट्रायल देने जाते थे तो उनके बाद रुपये भी नहीं हुआ करते थे। दोस्तों से उधार लेकर वह ट्रायल देने के लिए जाते थे। 2013 से 2015 तक उन्होंने बॉक्सिंग को समय देना कम कर दिया और प्रिंटिंग प्रेस में पेपर को ढोने का कार्य शुरु कर दिया। वहां रात में पेपर की ढुलाई में उन्हें 100 रुपये मिलते थे । वह उन्हीं रुपयों को जमा करके ट्रायल देने के लिए जाने लगे। जिला एवं राज्य स्तर पर चुने गए सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज उन्होंने बताया कि वह भले ही बॉक्सिंग में बड़ा मुकाम न हासिल कर पाए हो, लेकिन उन्हें खुशी हैं कि उनके सिखाएं खिलाड़ी देश में नाम रोशन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 20 से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीत चुके है। हाल ही में बुलंदशहर में आयोजित हुई सब जूनियर गर्ल्स चैंपियनशिप में दो खिलाड़ियों ने स्वर्ण पदक जीते है। गौरव के नाम कई रिकॉर्ड वर्तमान में गौरव राजपूत उत्तर प्रदेश यूथ कमिशन के सदस्य है। वह गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में चल रही सातवीं एलीट महिला राष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप में उत्तर प्रदेश की टीम का हिस्सा है। यहां वह फील्ड आफ प्ले की जिम्मेदारी निभा रहे है। वह राज्य स्तर प्रतियोगिता में सात स्वर्ण पदक जीत चुके है। इसके साथ ही जिला एवं राज्य स्तर पर सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज भी चुने जा चुके है। आल इंडिया विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में भी बॉक्सिंग रिंग में दिग्गज खिलाड़ियों को पानी पिला चुके हैं।

Skip to content