
लखीमपुर खीरी (हि.स.) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि सारी विविधता का सम्मान करो। सबसे हमारा अपनत्व का रिश्ता है। भाषा, प्रांत, उपासना, खानपान अलग है, समस्यायें अलग हैं, इसके बावजूद हम एक हैं। हमारी एक माता है। वह है भारत माता । भारत माता की भक्ति को आगे रखना। सभी संतों ने भारत की स्तुति की है। सरसंघचालक मंगलवार को लखीमपुर के मुस्तफाबाद स्थित कबीर धाम में आयोजित सत्संग में बोल रहे थे। डा. भागवत ने कहा कि जो भी पंथ संप्रदाय को आप मानने वाले हैं, उसकी उपासना प्रमाणिकता से करो। उपासना ठीक से करेंगे तो आप का किसी से झगड़ा नहीं होगा । उपासना ऐसी करना, जिससे सत्य की प्राप्ति हो। अंदर वाह्य सब शुचितापूर्ण हो। सबके कल्याण का भाव हो । भोग व स्वार्थ के पीछे न भागें । समाज के संस्कार परिवार के कारण रहते हैं। परिवार को संस्कारित व स्वस्थ रखना । परिवार को समाजोपयोगी बनाना । समाज के भेद को दूर करना। जड़ चेतन सबके प्रति कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। 10 हजार साल से हम खेती कर रहे हैं। हमारी जमीनों सबसे अच्छी हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि हमारी महान परम्परा है। उस परम्परा का पालन करने वाले संत आज भी विद्यमान हैं। छोटी-छोटी नौकाओं में बैठकर हमारे पूर्वज दुनिया को सदमार्ग दिखाने गए थे। हम सम्पूर्ण समाज में सुख शांति चाहते हैं। परिवार हमारे यहां पहली इकाई है। मैं मेरा घरा-परिवार, मेरा राष्ट्र इसका आधार राष्ट्रीयता है । ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होए। यह भारत का संदेश है । सब सुखी हों, हमारा देश विश्वगुरू बने, संघर्ष नहीं हम शांति से रहें । असंग देव महाराज ने कहा कि अपने बच्चों को समय दें। घर से परिवार के लोगों को समय दें। छुआछूत से ऊपर उठना है। इससे हिंदू समाज टूट जाता है। जहां शुद्ध प्रेम होता है, वहां जाति-पांति, मत-मजहब पीछे छूट जाते हैं। उन्होंने कहा कि साधु भेष को बदनाम मत करिए। साधु ऐसा होना चाहिए जैसा सूप सुभाय, संत बनना अच्छी बात है। सदगृहस्थ बनो। एक पत्नीव्रत व एक पतिव्रत का पालन करो। हमारा धर्म हो सेवा, हमारा कर्म हो सेवा । सदा सत्संगियों में मिल, हमें सेवक बना जाना है। इससे पूर्व सरसंघचालक ने असंग देव महाराज की उपस्थिति में भक्त निवास का शिलान्यास किया । इस अवसर पर अवध प्रांत के प्रांत प्रचारक कौशल, संयुक्त परिवार प्रबोधन प्रमुख ओमपाल सिंह, एमएलसी अवनीश सिंह पटेल समेत बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित रहे।
