राज्य में रोंगाली बिहू की तैयारी शुरू

राज्य में रोंगाली बिहू की तैयारी शुरू
राज्य में रोंगाली बिहू की तैयारी शुरू

गुवाहाटी। रोंगाली बिहू का उत्साह गुवाहाटी और असम के अन्य हिस्सों में भी देखने को मिल रहा है, क्योंकि लोग असमिया नववर्ष के अवसर पर राज्य के सबसे बड़े त्यौहार को मनाने की तैयारी कर रहे हैं । रोंगाली बिहू उत्सव के जश्न से पहले, गुवाहाटी के बाजार खाने-पीने की चीजों, गामोछा, बिहू के कपड़े, ढोल, पेपा, असमिया पारंपरिक जापी आदि से सज गए हैं। लोग पिठा (चावल की टिकिया), ताजा क्रीम, गाढ़ा मलाईदार दही, विभिन्न प्रकार के लड्डु, गुड़, गामोछा, पारंपरिक कपड़े आदि सहित विभिन्न खाद्य पदार्थ खरीदने के लिए बाजारों में उमड़ पड़े हैं। रोंगाली बिहू जिसे बोहाग बिहू के नाम से भी जाना जाता है, हर साल अप्रैल के दूसरे सप्ताह में पूरे राज्य में हर्ष, उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। राज्य के सबसे बड़े त्यौहार को मनाने की तैयारियाम जोरों पर हैं। इस साल रोंगाली बिहू त्यौहार 14 और 15 अप्रैल को मनाया जाएगा। इससे पहले, गुवाहाटी में एक बिहू नृत्य कार्यशाला का आयोजन किया गया था और असम की राजधानी के विभिन्न हिस्सों से लगभग 500 लड़कियों ने इस कार्यशाला में भाग लिया था । कार्यशाला का आयोजन गुवाहाटी बिहू संमिलन द्वारा चांदमारी मैदान में किया गया था। आयोजकों के अनुसार, इस बिहू नृत्य कार्यशाला के आयोजन का मुख्य उद्देश्य नई पीढ़ी को पारंपरिक लोक बिहू नृत्य में प्रशिक्षित करना और उन्हें पारंपरिक असमिया संस्कृति, नृत्य आदि के बारे में जानने के लिए एक मंच प्रदान करना है । पूब गुवाहाटी बिहू संमिलन के महासचिव सिमंत ठाकुरिया ने बताया कि इस बिहू कार्यशाला के लिए 1000 से अधिक छात्रों ने पंजीकरण कराया है। इस साल पूब गुवाहाटी बिहू संमिलन अपना 64 साल का बिहू उत्सव मनाने जा रहा है। हमने अपनी नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति सिखाने के लिए यह बिहू कार्यशाला आयोजित की है। यह त्यौहार कृषि मौसम की शुरुआत का प्रतीक है और इसे बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। रोंगाली बिहू एक बहु-दिवसीय त्यौहार है जो आम तौर पर सात दिनों तक चलता है, प्रत्येक दिन को जात बिहू के रूप में जाना जाता है। इस उत्सव में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियाम, पारंपरिक अनुष्ठान और दावत शामिल हैं। रोंगाली बिहू के पहले दिन – मवेशियों को धोया जाता है, और उन्हें ताजी हल्दी, काली दाल आदि का लेप लगाया जाता है, जबकि लोग उनके लिए गाते हैं। उधर इस साल के बिहू को बुनकर समुदाय के लिए एक यादगार उत्सव में बदलने के लिए, असम सरकार ने राज्य भर के 5.64 लाख बुनकरों से 9.25 लाख पारंपरिक गामोछा खरीदकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। असम की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए, अपनी तरह की यह पहली पहल स्थानीय कारीगरों को सशक्त बनाने के लिए सरकार के समर्पण को उजागर करती है। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की अगुआई में शुरू की गई यह पहल विकास भी, विरासत भी के दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें आर्थिक विकास को सांस्कृतिक गौरव के साथ जोड़ा गया है। सीएम शर्मा ने एक्स पर अपडेट साझा करते हुए कहा कि असमिया पहचान और सम्मान का प्रतीक गामोछा सीधे स्थानीय बुनकरों से खरीदा जाएगा और देश भर के नागरिकों को वितरित किया जाएगा, जिससे असम की विरासत को और बढ़ावा मिलेगा। बुनकरों के एक प्रतिनिधि ने बताया कि 7 लाख लोगों को बिहुवान भेजने की पहल से हमें बहुत फायदा हुआ है, क्योंकि सरकार सीधे स्थानीय कारीगरों से खरीद कर रही है। इस कदम से हजारों बुनकरों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है, जिनमें से कई आजीविका के लिए अपने शिल्प पर निर्भर हैं। असम सरकार ग्रामीण कारीगरों को एक राष्ट्रव्यापी पहल के साथ जोड़कर अपने लोगों के कौशल, समर्पण और परंपरा को उजागर करना चाहती है, साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहती है कि बिहू की जीवंत भावना भारत भर के घरों तक पहुंचने वाले प्रत्येक गमोसा में समाहित हो । पारंपरिक असमिया गमोसा को वर्ष 2017 में भौगोलिक संकेत (जी.आई.) टैग प्राप्त हुआ, जो कि वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 के अंतर्गत था ।

राज्य में रोंगाली बिहू की तैयारी शुरू
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