
गुवाहाटी। राज्य में 4.47 लाख से ज्यादा परिवारों ने सरकारी जमीन पर अवैध रूप से घर बना लिए हैं। इन परिवारों को सरकारी जमीन से बेदखल करना अब सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। सूत्रों के अनुसार सरकारी भूमि पर अनियंत्रित अतिक्रमण के कारण सार्वजनिक और पारिस्थितिकी संतुलन के हित में आरक्षित भूमि कम हो गई है। सरकारी भूमि पर मकान बनाने वाले अधिकांश अतिक्रमणकारियों के पास राज्य में अन्यत्र भूमि है। बेशक, उनमें से एक वर्ग वे लोग हैं जो कटाव और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण भूमिहीन हो गए हैं। इन अतिक्रमणकारियों में राजनेता, व्यवसायी, दलाल, सरकारी अधिकारी आदि शामिल हैं। समय-समय पर गुवाहाटी उच्च न्यायालय जिला आयुक्तों को सरकारी भूमि से अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने का आदेश देता है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने भी दिसंबर 2021 में सार्वजनिक तौर पर कहा था कि उनकी सरकार सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराएगी। इसके बावजूद राज्य में अभी भी बड़ी संख्या में परिवार सरकारी भूमि पर काबिज हैं। सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में राज्य सरकार ने अतिक्रमणकारियों से जमीनें खाली करवाने के लिए कई अभियान चलाए हैं। समस्या यह है कि अतिक्रमण हटाने के लिए बहुत सारी तैयारियों और संसाधनों की जरूरत होती है, साथ ही बेदखल किए जा रहे लोगों की ओर से शोर-शराबा भी होता है। इस वजह से सरकार कई इलाकों में अतिक्रमण हटाने के अभियान नहीं चला पाई है, जहां उसे चलाना चाहिए था। राज्य सरकार के पास भूमि बैंक आदि जैसा कोई डेटा नहीं था, जिससे पता चले कि पिछले समय में उसकी कितनी जमीनें बेकार पड़ी थीं। इससे राज्य में सरकारी जमीनों पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ। हाल ही में, राज्य सरकार द्वारा भूमि बैंक के जरिए सरकारी जमीनों को निर्दिष्ट करने के बाद, उसकी जमीनों के बारे में चीजें स्पष्ट हो गई हैं। राज्य सरकार ने असम भूमि अधिग्रहण (निषेध) अधिनियम, 2010 लागू किया। इस अधिनियम धारा 3 में कहा गया है कि किसी भी रूप में भूमि अधिग्रहण गैरकानूनी है, और भूमि अधिग्रहण से जुड़ा या उससे उत्पन्न कोई भी कार्य संज्ञेय अपराध होगा । सरकार इस अधिनियम के तहत, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, बेदखली अभियान चला रही है।
