लघु-मध्यम समाचार पत्र की समस्याओं के समाधान को लेकर जनसंपर्क के निदेशक को ज्ञापन

लघु-मध्यम समाचार पत्र की समस्याओं के समाधान को लेकर जनसंपर्क के निदेशक को ज्ञापन

लघु-मध्यम समाचार पत्र की समस्याओं के समाधान को लेकर जनसंपर्क के निदेशक को ज्ञापन

कोविड के कारण क्षति पहुंचे अखबारों को जिंदा रखने का आह्वान गुवाहाटी। ऑल असम न्यूजपेपर्स एसोसिएशन के एक 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने आज असम सरकार के सूचना और जनसंपर्क निदेशालय के निदेशक मानवेंद्र देबरॉय, एपीएस से सौहार्दपूर्ण वातावरण में मुलाकात की। प्रतिनिधि मंडल में विकसित भारत समाचार के संपादक एवं ऑल असम न्यूजपेपर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश शर्मा के साथ महासचिव और दैनंदिन वार्ता गोष्ठी के प्रबंध निदेशक शंकर गोहाई तथा प्रात: खबरके विज्ञापन प्रबंधक नितुल शर्मा सहित 12 सदस्य थे, जिन्होंने देबरॉय को जनसंपर्क निदेशक के रूप में उनकी नियुक्ति पर हार्दिक बधाई दी और उन्हें शारदीय महोत्सव के लिए शुभकामनाएं दीं। उनसे प्रतिनिधिमंडल ने लघु-मध्यम समाचार पत्रों की समस्याओं के समाधान को लेकर सौहार्दपूर्ण चर्चा की तथा उनको एक ज्ञापन भी सौंपा। असम की राज्य भाषाओं में बड़े समूह के समाचार पत्रों की सीमित संख्या के अलावा, लघु और मध्यम स्तर पर बड़ी संख्या में दैनिक, साप्ताहिक, अर्ध - साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक समाचार पत्र और पत्रिकाएं नियमित रूप से प्रकाशित होती हैं । ये लघु और मध्यम स्तर के समाचार पत्र राज्य की भाषा, साहित्य, संस्कृति, कला, खेल आदि को बढ़ावा दे रहे हैं। जहां बड़े समूह के समाचार पत्र चुनिंदा सीमित संख्या में स्थापित हस्तियों के कार्यों को प्रकाशित करते हैं, वहीं ये छोटे और मध्यम आकार के समाचार पत्र भाषा, साहित्य और रचनात्मकता का पहला प्रतिबिंब होते हैं । किंतु ये घाटे में प्रकाशित हो रहे हैं । रचनात्मकता का पहला क्षेत्र दशकों से लघु और मध्यम मीडिया है। पिछले 2020 से 2021 तक महामारी ने राज्य में मीडिया को बुरी तरह प्रभावित किया है । महामारी ने न केवल असम में बल्कि देश और विदेश में भी मीडिया, विशेषकर प्रिंट मीडिया पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। असम के मामले में, ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद, लघु और मध्यम मीडिया आउटलेट कम से कम भारी नुकसान और अनिश्चित भविष्य के साथ नियमित रूप से समाचार पत्र प्रकाशित कर रहे हैं। महामारी की शुरुआत से ही विज्ञापन की होने वाली क्षति मीडिया के लिए अभूतपूर्व रही है। ज्ञापन में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान सभी सरकारी और गैर- सरकारी विज्ञापनों में तेजी से गिरावट आई है। लघु और मध्यम मीडिया आउटलेट्स को राजस्व सृजन में भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इसमें विज्ञापनों के वितरण में पारदर्शी एवं निष्पक्ष नीति के आधार पर बड़े, मध्यम एवं लघु समाचार पत्रों में समान वितरण का आह्वान किया गया है। ज्ञापन में विज्ञापनों के मूल्य निर्धारण के अनुसार बड़े, मध्यम और लघु समाचार पत्रों के लिए तीन स्तर तय करके सभी के लिए समान विज्ञापन की नीति अपनाने की आवश्यकता का भी उल्लेख किया गया है। प्रत्येक समाचार पत्र के लिए, विशेष रूप से लघु और मध्यम उद्यमों के लिए प्रति माह एक निश्चित मात्रा में विज्ञापन जारी करने की नीति की भी मांग की गई है, ताकि एक निश्चित मात्रा में विज्ञापनों के आधार पर एक निश्चित राशि की प्राप्ति सुनिश्चित हो । निदेशालय से आग्रह किया गया है कि विज्ञापन के दर-निर्धारण पर विशेष ध्यान देने, हर संवादपत्र के लिए, विशेषकर लघु और मध्यम संवादपत्र के लिए प्रतिमाह निर्दिष्ट परिमाण में विज्ञापन प्रदान करने की नीति ग्रहण कर निर्दिष्ट परिमाण के विज्ञापन के आधार पर निर्दिष्ट पूंजी प्राप्त करने में सक्षम बनाने का उपाय करने का अनुरोध किया गया है ताकि समाचारपत्र जीवित रह सके । ज्ञापन में क्लासिफाइड विज्ञापन बंद करने से लघु और मध्यम दैनिक समाचार पत्र पाठकों और ग्राहकों से वंचित हो गया है। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि नियमित रूप से प्राप्त विज्ञापनों को अचानक बंद करने से समाचार पत्रों से जुड़े कर्मचारियों की आजीविका को खतरा पैदा हो गया है। जनसंपर्क निदेशक मानवेंद्र देब रॉय से ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए आवश्यक और उचित कदम उठाने की मांग की गई है।

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