
नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल अपनी अगली बैइक में कारोबार के लिए उपयोग होने वाले सभी तरह के ड्रोन पर समान रूप से 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला कर सकती है। सूत्रों के अनुसार यह फैसला ड्रोन के अलग-अलग वर्गीकरण को लेकर हो रहे भ्रम को दूर करने और उद्योग को स्पष्टता देने के लिए उठाया जा रहा है। बाजार के जानकारों के मुताबिक यह फैसला भारत के तेजी से बढ़ते ड्रोन उद्योग के लिए बड़ी राहत बन सकता है। फिलहाल देश में लगभग 488 ड्रोन कंपनियां काम कर रही हैं, जिन्होंने अब तक करीब 518 मिलियन डॉलर का निवेश हासिल किया है। इस समय ड्रोन पर जीएसटी दर उनके वर्गीकरण के हिसाब से अलग-अलग है। कारोबार के लिए उपयोग होने वाले ड्रोन अगर एचएसएन कोड 8806 के तहत ‘एयरक्राफ्ट’ के रूप में आते हैं तो उन पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है। वहीं अगर ड्रोन में कैमरा जुड़ा हो और उसे एचएसएन 8525 के तहत ‘डिजिटल कैमरा’ माना जाए, तो उस पर 18 फीसदी जीएसटी लगती है। इसके अलावा, व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए खरीदे गए ड्रोन पर एचएसएन 8806 के तहत 28 फीसदी तक जीएसटी लगती है। सरकार ने हाल के समय में ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए कई जरूरी कदम उठाए हैं। कृषि, लॉजिस्टिक्स, पब्लिक सेफ्टी और कंस्ट्रक्शन जैसे क्षेत्रों में ड्रोन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
