
फेंगसुई ऊर्जा को संतुलित करने की पद्धति का नाम है। इनके संतुलन से ही फेंगशुई प्रभावकारी होता है। इस विधा में जल, लकड़ी, अग्नि, पृथ्वी और धातु की दिशा के अनुरूप व्यवस्था ही सफल फेंगशुई का निर्माण करती है। यही कारण है कि घर का निर्माण ऐसा होना चाहिए कि सूरज की रोशनी घर में अवश्य आए। चीनी वास्तु फेंगशुई का इतिहास करीब तीन हजार वर्ष पुराना है। फेंगशुई का शाब्दिक अर्थ है हवा और पानी । यह विधा पांच तत्वों पर आधारित है- जल, लकड़ी, अग्नि, पृथ्वी और धातु। इस विधा में नाकारात्मक ऊर्जा यिन व साकारात्मक ऊर्जा यांग के नाम से जानी जाती है। ये परस्पर विरोधी ऊर्जाएं हैं, जो एक दूसरे के विरुद्ध कार्य करती हैं। इसके अतिरिक्त ब्राह्मांड की ऊर्जा जिसे ची के नाम से जाना जाता है। फेंगशुई, ब्राह्मंड की ऊर्जा तथा यिन व यांग। घर की ऊर्जा व दिशाओं के अनुरूप तत्वों को व्यवस्थित करना और घर में रसोई, मुख्य शयन कक्ष, बच्चों का शयनकक्ष, धन व बहुमूल्य वस्तुओं को रखने का कक्ष या अलमारी, पढ़ाई का कक्ष आदि की तत्वों व दिशाओं के अनुरूप व्यवस्था ही सफल फेंगशुई का आधार है । जो घड़ियां बंद हों, उन्हें या तो घर से हटा देना चाहिए या फिर चालू कर देना चाहिए। घर में झाडू का उपयोग करने के बाद उसे इस तरह रखना चाहिए कि किसी की इस पर नजर न जाए। फेंगशुई के अनुसार इसका संबंध घर के धन और संपत्ति से होता है। पूरे घर में कालीन बिछा देने से पॉजिटिव शक्तियां घर के अंदर नहीं रह पाती। शीशे को घर के मुख्य द्वार पर नहीं लगाना चाहिए। बाथरूम के दरवाजे के ठीक सामने भी कोई शीशा नहीं होना चाहिए। घर में बच्चों को डर लगे तो पीले रंग का बल्ब लगाना चाहिए। घर का मुख्य द्वार अन्य दरवाजों की तुलना में बड़ा होना चाहिए। मुख्य गेट दो पल्लों का होना चाहिए। मुख्य द्वार के दोनों ओर खिड़कियां नहीं होने चाहिए, इससे घर के मालिक को आर्थिक परेशानी हो सकती है। घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव दूर करने के लिए चीनी बेम्बू का प्रयोग करें। भाग्य को चमकाने के लिए मकान या व्यापार स्थल के मुख्य द्वार पर पवन घंटियां तथा चीनी सिक्के लगाएं। कछुए को घर में रखना प्रगति व स्वास्थ्य की दृष्टि से शुभ होता है।
