
होजाई (निसं)। शीतला अष्टमी के उपलक्ष पर आज स्थानीय श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर प्रांगण परिसर में माता शीतला की पूजा-अर्चना करने हेतु उमड़े भक्त। उल्लेखयोग्य है, शीतला अष्टमी को बसौड़ा पूजा के नाम से भी जानते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, शीतला माता की पूजा हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को की जाती है। इस दिन घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। शीतला अष्टमी के दिन लोग माता शीतला को बासी खाने का भोग लगाते हैं। बाद में इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। शीतला अष्टमी को ऋतु परिवर्तन का संकेत भी माना जाता है। क्योंकि इस दिन के बाद से ग्रीष्म (गर्मी) ऋतु शुरू हो जाती है और गर्मियों में बासी भोजन नहीं खाया जाता है। इस संवाददाता से बात करते हुए पंडित सुनील शास्त्री ने बताया की श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर प्रांगण परिसर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखी गई जहां भक्तगण माता शीतला की पूजा अर्चना करने हेतु पहुंच रहे है । उन्होंने कहा माता शीतला की पूजा अर्चना करने से हर प्रकार के रोग, व्याधि, पीड़ा आदि का निराकरण होता है और माता शीतला की कृपा से सारी मनोकामनाएं की पूर्ति होती है।
