14 की उम्र में जुड़वां बेटों को जन्म दिया, अब पहलवान बनकर पदक जीते

14 की उम्र में जुड़वां बेटों को जन्म दिया, अब पहलवान बनकर पदक जीते

14 की उम्र में जुड़वां बेटों को जन्म दिया, अब पहलवान बनकर पदक जीते

पणजी। राष्ट्रीय खेलों में 57 भार वर्ग में कुश्ती का रजत पदक जीतने वाली नीतू सरकार की कहानी सुनकर कोई भी दांतों तले अंगुलिया दबा लेगा। पहले उन्हें 13 वर्ष की उम्र में एक अधेड़ व्यक्ति के पास भेज दिया गया। वहां से वह किसी तरह भागने में सफल रहीं तो थोड़े ही दिनों में उनकी शादी एक बेरोजगार के साथ कर दी गई। भिवानी में जन्मीं यह पहलवान 14 की उम्र में दो जुड़वां बेटों की मां बन गई । गुजारे के लिए उन्होंने सड़कों पर टाइलें लगाईं, ब्यूटी पार्लर, दर्जी और दुकान पर क्लर्क का काम किया, लेकिन एक योग अध्यापक का उन्हें कुश्ती कोच जिले सिंह से मिलाना वरदान बन गया। कोच ने मैरी कॉम की कहानी सुनाकर उन्हें पहलवान बनाया। उन्हीं नीतू ने राष्ट्रीय खेलों में तीसरी बार पदक जीतने में सफलता हासिल की। परिवार के उठने से पहले करती थीं अभ्यास नीतू के अनुसार जब उनकी शादी हुई तो उनका घर उनकी सास की पेंशन पर चलता था । जुड़वां बेटों के जन्म के बाद जब उन्होंने पहलवान बनने की इच्छा अपने पति को बताई तो उन्होंने इसका समर्थन नहीं किया, लेकिन उन्होंने काफी जोर दिया तो वह मान गए। हालांकि उन्होंने शर्त रखी कि उन्हें घर के लोगों से जागने से पहले ही अपना अभ्यास पूरा करना होगा। इसके बाद वह सुबह साढ़े तीन बजे उठकर 10 किलोमीटर की दौड़ लगातीं और अभ्यास कर वापस घर के कामों में जुट जाती थीं। जल्द ही उन्हें राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक मिल गया । उन्होंने 2015 के राष्ट्रीय खेल में उन्होंने कांस्य और बीते वर्ष गुजरात राष्ट्रीय खेलों में 57 भार वर्ग में रजत जीता। वह जूनियर विश्व चैंपियनशिप में भी खेलीं । अब कांस्टेबल हैं नीतू महज सातवीं तक पढ़ीं नीतू बताती हैं कि उनकी शिक्षा के अनुसार कोई नौकरी नहीं मिल सकती थी । इसी वजह से उन्होंने खेलों को अपनाया । वह चाहती थीं जो उन्होंने झेला उनके बेटों को आगे नहीं सहना पड़े। नीतू अभी एसएसबी में कांस्टेबल हैं। उनका एक बेटा करनाल और एक रोहतक में है। एक बेटे को उन्होंने जेवलिन थ्रो में डाला है। उनकी निगाहें अब पेरिस ओलंपिक के ट्रायल पर हैं ।

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