उत्तराखंड में 136 मदरसे सील, सीएम ने दिए जांच के आदेश

उत्तराखंड में 136 मदरसे सील, सीएम ने दिए जांच के आदेश
उत्तराखंड में 136 मदरसे सील, सीएम ने दिए जांच के आदेश

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने अवैध रूप से संचालित मदरसों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए अब उनकी फंडिंग की गहन जांच करने का निर्णय लिया है। प्रदेशभर में अब तक 136 अवैध मदरसों को सील किया जा चुका है और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि इन मदरसों को मिलने वाले धन के स्रोतों की पूरी तरह से जांच की जाए। प्रदेश में पिछले एक महीने से अवैध मदरसों को लेकर प्रशासन ने सख्त अभियान चला रखा है। अब तक जिन मदरसों को सील किया गया है, उनके पास न तो पंजीकरण के वैध दस्तावेज थे और न ही संचालन से संबंधित कोई अधिकृत प्रमाण था । सरकार को संदेह है कि इन मदरसों को हवाला या विदेशी फंडिंग के माध्यम से आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसी कारण, अब इनकी वित्तीय गतिविधियों की पूरी जांच की जाएगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तराखंड में करीब 500 अवैध मदरसे चल रहे हैं, जिनके संचालन की कोई अधिकृत जानकारी प्रशासन के पास नहीं है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन मदरसों का खर्च कैसे चलता है और शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन कहां से आता है ? सरकार को आशंका है कि ये मदरसे धर्म की आड़ में अवैध फंडिंग प्राप्त कर रहे हैं। मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया कि जांच के बाद ही यह पता चलेगा कि क्या इन मदरसों को दूसरे देशों से फंडिंग मिल रही है या नहीं । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्देश दिए हैं कि जिला स्तर पर एक विशेष कमेटी बनाई जाए, जो अवैध मदरसों की फंडिंग की जांच करेगी। इस कमेटी को प्रत्येक मदरसे के दस्तावेज, बैंक खाते और आय – व्यय का पूरा ब्योरा खंगालने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यदि किसी मदरसे की फंडिंग में गड़बड़ी या संदिग्ध लेन-देन पाया जाता है, तो संबंधित मदरसे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों जैसे जसपुर, बाजपुर, किच्छा, काशीपुर, रुद्रपुर, गदरपुर, पछवादून और हरिद्वार में अवैध मदरसों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सरकार को सूचना मिली है कि इनमें से कई मदरसे बिना अनुमति के चल रहे हैं और यह सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। प्रशासन अब इन मदरसों के स्रोतों और उद्देश्यों की गहन जांच कर रहा है। सोमवार को देहरादून जिला प्रशासन ने सहसपुर में स्थित एक बड़े मदरसे को सील कर दिया। इस मदरसे ने बिना किसी अधिकृत अनुमति के एक मंजिल का निर्माण कर लिया था। प्रशासन ने पहले ही इसे नोटिस जारी किया था, लेकिन मदरसा प्रबंधन ने नियमों का उल्लंघन करते हुए निर्माण कार्य जारी रखा, जिसके बाद कार्रवाई की गई। अब तक उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में सील किए गए अवैध मदरसों का विवरण इस प्रकार है : ऊधम सिंह नगर : 64 मदरसे, देहरादून : 44 मदरसे, हरिद्वार : 26 मदरसे, पौड़ी गढ़वाल : 2 मदरसे प्रमुख है। प्रशासन का कहना है कि यह अभियान आगे भी जारी रहेगा और किसी भी अवैध गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश में अवैध मदरसों, मजारों और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। अवैध रूप से संचालित मदरसों की फंडिंग की जांच के लिए अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। कोई भी गैरकानूनी गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जमीअत ने एससी का दरवाजा खटखटाया

नई दिल्ली (हि.स.)। उत्तराखंड सरकार ने पिछले दिनों राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की सिफारिश को आधार बनाकर मदरसों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। इसके खिलाफ जमीअत उलमा- ए-हिंद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। इस संबंध में मंगलवार, 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका की सुनवाई हो सकती है। एनसीपीसीआर ने केंद्र और राज्यों को निर्देश दिया था कि कथित रूप से शिक्षा का अधिकार एक्ट से संबंध न रखने वाले सभी मदरसों को बंद करा दिए जाए। राष्ट्रीय आयोग ने कहा था कि मदरसों में बच्चों को उचित शिक्षा नहीं दी जा रही है और यह बच्चों के अधिकार के खिलाफ है। आगे यह भी कहा गया था कि मदरसों में बच्चों को न केवल उचित शिक्षा बल्कि स्वस्थ वातावरण और विकास के अच्छे अवसर से भी वंचित रखा जा रहा है। सरकारी अधिकारियों ने उत्तराखंड में बड़े स्तर पर मदरसों के खिलाफ फिर कार्रवाई शुरू कर दी है। जमीअत उलमा-ए-हिंद का कहना है कि अब तक इस कार्रवाई में बिना पूर्व सूचना के बहुत से मदरसों को जबरदस्ती बंद करवा दिया गया, हालांकि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन है। उल्लेखनीय है कि जब उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की पहले कार्रवाई की गई थी तो जमीअत उलमा-ए-हिंद ने इस साजिश को विफल बनाने के लिए मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट में एक अहम याचिका दाखिल की थी। इसमें उन सभी दावों को चुनौती दी गई थी जिसके बाद अदालत ने उन सभी नोटिसों पर रोक लगा दी जो विभिन्न राज्यों विशेष रूप से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मदरसों को जारी किए गए थे। उत्तराखंड में मदरसों के खिलाफ इस कार्रवाई को असंवैधानिक बताते हुए आज जमीअत ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। जमीअत का कहना है कि उतराखंड में मकतबों और मदरसों, जो केवल मुस्लिम समुदाय के बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने के माध्यम हैं, के कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप और उन्हें लगातार भयभीत किया जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि हमारे मदरसे और मकतब जो शुद्ध रूप से गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक धार्मिक शिक्षा संस्थाएं हैं, यह बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के चल रहे हैं। लेकिन अचानक पहली मार्च 2025 से अब तक सरकारी अधिकारी हमारे मदरसों में आ रहे हैं और हमसे कह रहे हैं कि हमें यह मकतब और मदरसे बंद करने होंगे।

उत्तराखंड में 136 मदरसे सील, सीएम ने दिए जांच के आदेश
उत्तराखंड में 136 मदरसे सील, सीएम ने दिए जांच के आदेश
Skip to content