
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच सीमा पर तनातनी के बीच भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश में एक बड़ा युद्ध अभ्यास प्रचंड प्रहार किया। यह अभ्यास 25 से 27 मार्च तक चला, जिसमें सेना, वायुसेना और नौसेना के जवानों ने हिस्सा लिया। यह अभ्यास चीन सीमा के पास हुआ, जिससे यह साफ संकेत जाता है कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सतर्क है। यह अभ्यास ऊंचे पहाड़ों में किया गया, जहां सेना ने लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, ड्रोन, तोपें और रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल किया। दुश्मन के ठिकानों की पहचान कर उन पर तेज और सटीक हमला किया गया। इसमें ऐसे आधुनिक हथियारों का उपयोग हुआ, जो किसी भी तरह की चुनौती का तुरंत जवाब दे सकते हैं। नवंबर 2024 में पूर्वी प्रहार नामक युद्ध अभ्यास हुआ था, जिसमें वायुसेना की भूमिका को परखा गया था । प्रचंड प्रहार उससे भी बड़ा अभ्यास था, जिसमें तीनों सेनाओं ने मिलकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। यह अभ्यास ऐसे समय में हुआ है जब चीन लगातार सीमा पर अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत कर रहा है । इस अभ्यास ने भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना (आईएएफ) और भारतीय नौसेना के बीच सहज समन्वय को प्रदर्शित किया, जिसमें भूमि, वायु और समुद्री क्षेत्रों में एकजुट रूप से संचालन करने की उनकी तैयारियों पर जोर दिया गया । प्रचंड प्रहार की शुरुआत तीनों सेवाओं से उन्नत निगरानी संसाधनों की तैनाती के साथ हुई। भारतीय वायुसेना के लंबी दूरी के निगरानी विमान और नौसेना के समुद्री डोमेन जागरूकता प्लेटफार्मों ने व्यापक डोमेन जागरूकता स्थापित करने और नकली लक्ष्यों का पता लगाने के लिए सेना के हेलीकॉप्टरों और मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) के साथ सहयोग किया । लक्ष्यों की पहचान हो जाने के बाद, एक समन्वित संयुक्त गोलाबारी प्रदर्शन किया गया। तकनीकी एकीकरणइस अभ्यास ने आधुनिक युद्ध में अत्याधुनिक तकनीकों के एकीकरण पर प्रकाश डाला। स्वायत्त लक्ष्य प्राप्ति और सटीक हमलों में सक्षम झुंड ड्रोन और लोइटरिंग म्यूनिशन का उपयोग भारत की सैन्य क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।
