केआईपीजी 2025: खेल और प्यार की अनोखी कहानी, पैरालंपिक्स में चमकने को तैयार स्वरूप और रोगी

केआईपीजी 2025: खेल और प्यार की अनोखी कहानी, पैरालंपिक्स में चमकने को तैयार स्वरूप और रोगी
केआईपीजी 2025: खेल और प्यार की अनोखी कहानी, पैरालंपिक्स में चमकने को तैयार स्वरूप और रोगी

नई दिल्ली

खेल और प्रेम जब एक साथ चलते हैं, तो नतीजे ऐतिहासिक हो सकते हैं। पेरिस ओलंपिक्स 2024 में टारा डेविस ने लंबी कूद में स्वर्ण पदक जीता और जब उनके पति हंटर वुडहॉल ने पैरालंपिक्स में टी62 400 मीटर दौड़ में स्वर्ण जीता, तो यह उनकी आपसी प्रेरणा का ही परिणाम था। इसी तरह स्वरूप और रोमी उन्हालकर की कहानी खेल और प्यार के अनूठे संगम को दर्शाती है।

पहले ही दो बार पैरालंपिक्स में भाग ले चुके स्वरूप ने खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच 1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।

उनकी पत्नी रोमी उन्हालकर ने महिला आर2 – एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच 1 स्पर्धा में भाग लिया, जहां उन्होंने क्वालिफाइंग में चौथा स्थान

खेल से शादी तक का सफर

हासिल किया और फाइनल में आठवें पुरानी राइफल दी, जिससे उन्होंने स्थान पर रहीं। प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया और जल्द ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। महाराष्ट्र के पहले पैराशूटर बने महाराष्ट्र के पहले पैरा शूटर बने

दोनों की मुलाकात 2021-22 के आसपास पुणे में एक कॉमन फ्रेंड के जरिए हुई। शुरुआत में यह एक प्रोफेशनल रिश्ता था, लेकिन धीरे-धीरे यह दोस्ती गहरे संबंध में बदल गई। शादी के बाद रोमी ने भी शूटिंग को अपनाया, और पिछले तीन वर्षों से यह दंपति साथ में प्रतियोगिताओं में भाग ले रहा है, देश के लिए पदक जीत रहा है। स्वरूप का बचपन संघर्षों से भरा रहा।

बचपन में ही उन्हें पोलियो हो गया था और उनके लिए शूटिंग रेंज तक पहुंचना आसान नहीं था। परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे अपनी खुद की राइफल और किट खरीद सकें। लेकिन उनके कोच ने 2012 में एक 10 साल

स्वरूप

स्वरूप महाराष्ट्र के पहले ऐसे पैरा शूटर बने, जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए क्वालिफाई किया। उनकी मेहनत को तब पहचान मिली जब उन्हें महाराष्ट्र के प्रतिष्ठित छत्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो राज्य का सर्वोच्च खेल पुरस्कार है।

स्वरूप बताते हैं, इसके बाद सबका नजरिया बदल गया । अब परिवार और समाज में लोग कहते हैं, ‘हमें कुछ नहीं चाहिए, बस तुम खेलते रहो। जब उन्होंने 2008 में अपने सफर की शुरुआत की,

तब भारत में पैरा खिलाड़ियों को खेल के रूप में ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता था। लेकिन उन्होंने इस मानसिकता को बदलने में अपनी भूमिका निभाई। रोमी की भी है पैरालंपिक में खेलने की इच्छा

रोमी भी अपने पति के प्रति गर्व से भर जाती हैं। वे कहती हैं, स्वरूप बहुत धैर्यवान हैं और हर परिस्थिति में शांत रहते हैं । यह मुझे बहुत प्रेरित करता है। मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं कि मुझे उनका साथ मिला है। खेलो इंडिया पैरा गेम्स में स्वरूप ने मिक्स्ड 10 मीटर एयर राइफल प्रोन एसएच2 में भी भाग लिया, जहां वे आठवें स्थान पर रहे। इसके अलावा आर6 – 50 मीटर राइफल प्रोन मिक्स्ड एसएच में उन्होंने पांचवां स्थान हासिल किया। अब यह जोड़ी अगले बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ रही है।

केआईपीजी 2025: खेल और प्यार की अनोखी कहानी, पैरालंपिक्स में चमकने को तैयार स्वरूप और रोगी
केआईपीजी 2025: खेल और प्यार की अनोखी कहानी, पैरालंपिक्स में चमकने को तैयार स्वरूप और रोगी