पत्रकार की गिरफ्तारी के विरोध में राज्य भर में विरोध प्रदर्शन

पत्रकार की गिरफ्तारी के विरोध में राज्य भर में विरोध प्रदर्शन
पत्रकार की गिरफ्तारी के विरोध में राज्य भर में विरोध प्रदर्शन

गुवाहाटी। वरिष्ठ पत्रकार दिलवर हुसैन मजूमदार की कथित राजनीति से प्रेरित गिरफ्तारी के विरोध में गुवाहाटी में पत्रकार समुदाय बुधवार को सड़कों पर उतर आया। शहर स्थित समाचार पोर्टल द क्रॉसकरंट के रिपोर्टर और गुवाहाटी प्रेस क्लब के सहायक महासचिव मजूमदार को उसी दिन अदालत में पेश किया गया और पुलिस ने पांच दिन की रिमांड मांगी। पत्रकार, संपादक, कार्यकर्ता और छात्र समूह अम्बारी में गुवाहाटी प्रेस क्लब के बाहर एकत्र हुए और गिरफ्तारी की निंदा करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने और सत्ता में बैठे लोगों की आलोचना करने वाली आवाजों को डराने का प्रयास बताया। प्रदर्शनकारी पत्रकारों में से एक ने कहा कि यह सिर्फ दिलवर हुसैन पर हमला नहीं है, बल्कि सभी पत्रकारों और स्वतंत्र प्रेस के लिए खतरा है। प्रदर्शनकारियों ने राज्य पुलिस और अधिकारियों के खिलाफ नारे लगाते हुए पान बाजार पुलिस स्टेशन की ओर मार्च करने से पहले एक मानव श्रृंखला बनाई। जब पुलिस कर्मियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो एक छोटी सी झड़प हुई। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) की साहित्यिक सचिव निहारिका शॉ इकिया ने कहा कि सरकार सिर्फ अपनी तारीफ सुनना चाहती है। अगर पत्रकार इसकी कमियों को उजागर नहीं करेंगे, तो और कौन करेगा ? इस राजनीतिक रूप से प्रेरित कृत्य का उद्देश्य अधिकारियों से सवाल करने वालों को चुप कराना है। विरोध प्रदर्शन केवल गुवाहाटी तक सीमित नहीं रहा। जोरहाट, डिब्रूगढ़ और विश्वनाथ में भी पत्रकारों ने मजूमदार की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। जोरहाट में प्रेस क्लब के सचिव परमानंद बोरा ने पत्रकारों के प्रति बढ़ती दुश्मनी पर चिंता व्यक्त की । उन्होंने कहा कि स्वतंत्र माहौल के बजाय, हम प्रेस के प्रति दमनकारी रवैया देखते हैं। मजूमदार को 25 मार्च को असम सहकारी शीर्ष बैंक के प्रबंध निदेशक डंबरू सैकिया से करोड़ों रुपए के भर्ती घोटाले के आरोपों के बारे में पूछताछ करने का प्रयास करने के बाद हिरासत में लिया गया था । वह पान बाजार में बैंक परिसर के बाहर असम जातीय परिषद (एजेपी) की युवा शाखा जातीय युवा शक्ति द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन को कवर कर रहे थे। क्रॉसकरंट द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में मजूमदार को सैकिया से सवाल करते हुए दिखाया गया, जिन्होंने सुझाव दिया कि वे अपने कार्यालय में चर्चा जारी रखें। कुछ ही क्षणों बाद, मजूमदार को पान बाजार पुलिस स्टेशन से कॉल आया और उन्हें लगभग 12 घंटे तक हिरासत में रखा गया । क्रॉसकरंट के संपादक अरूप कलिता ने हिरासत की निंदा की। उन्होंने कहा कि हमें मजूमदार से मिलने नहीं दिया जा रहा है और पुलिस ने उनके खिलाफ लगाए गए सटीक आरोपों का भी उल्लेख नहीं किया है। यह प्रेस की स्वतंत्रता पर एक जबरदस्त हमला है। एफआईआर के अनुसार, मजूमदार पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 351 (2) / 3 (1) (आर) और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 2015 के तहत आरोप लगाए गए हैं। पुलिस का आरोप है कि उन्होंने एक अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों ने आरोपों की वैधता पर सवाल उठाए हैं। 25 मार्च को शाजन स्कारिया बनाम केरल राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में स्पष्ट किया गया कि एससी/ एसटी अधिनियम के तहत आरोपों के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी सार्वजनिक रूप से की जानी चाहिए। हालांकि, कथित तौर पर एफआईआर सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानूनी मानदंडों को पूरा नहीं करती है। इस बीच, जैसे- जैसे विरोध प्रदर्शन तेज होता जा रहा है, पत्रकारों ने मजूमदार की रिहाई और उन पर लगे आरोप हटाए जाने तक अपना प्रदर्शन जारी रखने की कसम खाई है। गुवाहाटी प्रेस क्लब ने भी मीडिया संगठनों से देशव्यापी समर्थन का आह्वान किया है और कहा है कि एक पत्रकार पर हमला पूरे प्रेस समुदाय पर हमला है।

पत्रकार की गिरफ्तारी के विरोध में राज्य भर में विरोध प्रदर्शन
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